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नशे की चपेट में दम तोड़ती युवा पीढ़ी

सौरभ पाण्डेय

महराजगंज। नशा एक ऐसी बुराई है, जिससे इंसान का अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है। नशे के लिए समाज में शराब, गाॅजा, भाॅग, अफीम, जर्दा, गुटखा, तम्बाकू और धूम्रपान बीडी, सिगरेट, हुक्का, चिलम सहित सरस, स्मैक, कोकीन, ब्राउन शुगर, जैसे घातक मादक दवाओं और पदार्थों का उपयोग किया जा रहा है। इस जहरीले और नशीले पदार्थों के सेवन से व्यक्तियों को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक हानि पहुॅचने के साथ ही इससे सामाजिक वातावरण भी प्रदूषित होता है। साथ ही स्वयं और परिवार की सामाजिक व आर्थिक स्थिति को भी बहुत नुकसान पहुॅचाता है। नशा के आदी व्यक्ति को समाज में हेय दृष्टि से देखा जाता है। नशे करने वाला व्यक्ति परिवार के लिए बोझ स्वरूप हो जाता है। उसकी समाज के लिए उपादेयता शून्य हो जाती है। वह नशे से अपराध की ओर अग्रसर हो जाता है तथा शान्ति पूर्ण समाज के लिये अभिशाप बन जाता है। नशा एक अन्तर्राष्ट्रीय विकराल समस्या बन गयी है। इस दुव्र्यसन से आज स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग और विशेष कर युवा वर्ग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इस अभिशाप से समय रहते मुक्ति पा लेने में ही मानव समाज की भलाई है। जो इसके चंगुल में फंस गया वह स्वयं तो बर्बाद होता ही है, इसके साथ ही उसका परिवार भी बर्बाद हो जाता है। आज कल देखा जा रहा है कि युवा वर्ग इसकी चपेट में दिनों दिन आ रहा है, वह तरह-तरह के नशे जैसे तम्बाकू, गुटखा, बीडी, सिगरेट और शराब के चंगुल में फंसता ही जा रहा है जिसके कारण उसका कैरियर चौपट हो रहा है।