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क्या सिर्फ ब्राह्मण ही दिलायेगें सत्ता की चाभी:अंकित मणि त्रिपाठी

“ सत्ता से बढ़कर कुछ भी नहीं है सत्ता है तो सब कुछ है ”

अंकित मणि त्रिपाठी की रिपोर्ट

राजनीति की दुनिया में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह की यह पक्तियाँ आज उत्तर प्रदेश की राजनीति पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं । महज छः से आठ माह दूर खड़े विधानसभा चुनाव के अखाड़े के लिए गोटियाँ सजनी शुरू हो गई हैं । पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती ने इस बार विधानसभा चुनावों के लिए सोशल इंजीनियरिंग के पुराने फार्मूले को फिर से चलते हुये अपने मुख्य रणनीतिकार राज्य सभा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा को ब्राह्मण सम्मेलन का दायित्व सौंपा । हालांकि उच्च न्यायालय के दखल के बाद इसे परिवर्तित कर इसे प्रबुद्ध वर्ग विचार गोष्ठी नाम दे दिया गया ।
अब ठीक इसी राह पर पूर्व मुख्यमंत्री व सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी अपने कदम बढ़ा दिए हैं । कल उन्होंने ब्राह्मण समाज के सपा के पाँच कद्दावर नेताओं की एक टीम गठित कर उनसे भी ब्राह्मण समाज को सपा से जोड़ने की मुहिम चलाने को कहा है । ये पांच चेहरे हैं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय , पूर्व मंत्री मनोज पाण्डेय , प्रो. अभिषेक मिश्रा , सनातन पाण्डेय व पूर्व विधायक सन्तोष पाण्डेय ।
खबर यह है कि ये पांचों नेता बलिया से ब्राह्मण सम्मेलन या दूसरी भाषा में कहें तो प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन आयोजित कर समाज में विशेषकर ब्राह्मण समाज को समाजवादी पार्टी से जोड़ने का दायित्व सम्भालेंगे । सपा ने बलिया क्यों चुना यह भी जान लीजिए सबसे पहले बलिया की पहचान प्रथम स्वाधीनता संग्राम सेनानी मंगल पांडे से है जो कि ब्राह्मण हैं और दूसरा सपा के संस्थापक सदस्य व महान समाजवादी नेता स्व.जनेश्वर मिश्र की यह जन्मभूमि है । जिनके नाम पर पूर्ववर्ती सरकार में अखिलेश यादव ने एक बड़ा पार्क भी बनवाया था ।
बात करें सत्तारूढ़ भाजपा की तो उन्होंने सिद्धार्थ नगर में मेडिकल कॉलेज की बनाने की बात कही तो उसे माधव प्रसाद त्रिपाठी का नाम दे कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी कर ली है । शेष रवि किशन कह ही रहे हैं कि ब्राह्मणों का सर्वाधिक भला बीजेपी ही कर रही है ।
अब बात कांग्रेस की करें तो यहाँ फ़िलहाल उनके सबसे बड़े ब्राह्मण नेता व राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी हैं जिनका इस्तेमाल पार्टी कैसे करती है यह आने वाला वक्त बतायेगा ।
कुल मिलाजुला कर मायावती के ब्राह्मण कार्ड ने प्रदेश की राजनीति में शिक्षा , रोजगार , स्वास्थ्य , सड़क व कृषि जैसे अत्यंत आवश्यक चीजों को पीछे छोड़ जातिगत राजनीति को हवा दे दी है जिसे सभी राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से आजमा रहे हैं ।

साभार:-
अंकित मणि त्रिपाठी
पत्रकार काका
महराजगंज