अखण्ड देव भार्गव
परतावल:-केंद्र और राज्य सरकार भले ही ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के बड़े बड़े दावे कर ले। लेकिन वास्तविक तस्वीर राजनीतिक दावों से बिल्कुल ही अलग है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कीचड़ से परिपूर्ण टुटी हुई सड़कों के निर्माण की प्रक्रिया राजनीतिक दावों में ही देखने को मिलती है। बदहाल ग्रामीण अंचल की सड़को के विकास की प्रक्रिया आज भी कच्छप चाल ही चल रहा है। जिसका सटीक उदाहरण है। गोरखपुर से महराजगंज मुख्य हाइवे मार्ग से जुड़ा हुआ अमवा बसहिया से होते हुए चंदरपुर ग्रामसभा का एप्रोच मार्ग जो वर्ष भर जलजमाव और कीचड़ से सना रहता है। जबकि इस मार्ग पर ग्रामीणों के साथ साथ चंदरपुर महाविद्यालय के छात्र और छात्राओं को आना जाना लगा रहता है। बता दें कि दुश्वारियों से बचने के लिए एक और भी मार्ग जिसकी दूरी इस एप्रोच मार्ग के अपेक्षाकृत ज्यादा है। इस बदहाल सड़क दो महाविद्यालय, एक प्राथमिक विद्यालय के साथ ही गैस गोदाम भी है। जिसके कारण इस दुश्वारियों का सामना करना छात्रों एवं ग्रामीणों की मजबूरी है। बारिश के समय इस सड़क पर आवागमन नारकीय हो जाता हैं। दो कदम चलना भी खतरे से खाली नहीं होता है। इस संबंध में उसी गांव के निवासी एवं समाजसेवी अतुल पटेल के साथ उपस्थित ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि पूर्व में ग्रामीणों द्वारा जनप्रतिनिधियों से रास्ते को ठीक कराए जाने की माँग उठाई गई। परंतु ग्राम प्रधान या किसी जनप्रतिनिधि ने इस मार्ग के मरम्मत कराने की जहमत नहीं उठाई।वर्षों से जर्जर हुई सड़क पर विगत कुछ दिनों पहले ग्रामप्रधान के द्वारा सड़क को ऊंचा करने हेतु मिट्टी गिराई गई पर उचित जलनिकासी का प्रबन्ध ना होने एवं सड़क कच्ची होने कारण सड़क का स्वरूप और भी भयावह हो गया। कई बार सिलेंडर लादे बाइक सवार इस कीचड़ और पानी में असंतुलित होकर घायल भी हो चुके है। ग्रामीणों की दुश्वारियों की सुधि लेने वाला कोई नही है।