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एक ही गांव की दो गर्भवती महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत, विभाग के दावों पर सवाल

महराजगंज। गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर भले ही जिले में हर माह करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हों, लेकिन खर्च हो रही राशि का हकीकत में जरूरतमंदों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

24 घण्टे में पनियरा क्षेत्र के अड़बड़हवां के टोला बरवास में दो गर्भवती महिलाओं और दो नौजात की मौत हो गई। जिसमें एक प्रसूता की मौत का कारण खून की कमी, तो दूसरी प्रसूता का कारण प्रसव के दौरान गर्भाशय फटना बताया जा रहा है। इससे विभाग के दावों पर सवाल उठने लगे हैं।

अड़बड़हवां के टोला बरवास निवासी 22 वर्षीय मनीषा पत्नी राम दयाल की एक सप्ताह पहले डिलेवरी हुई थी, डिलेवरी के दौरान नौजात की मौत हो गई थी। 17 फरवरी को मनीषा की भी मौत हो गई। 18 फरवरी को उसी गांव के सोहन की पत्नी की प्रसव पीड़ा हुई तो परिजन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पनियरा लेकर पहुंचे। खून की भी भारी कमी थी व शरीर पर सूजन आ गई थी।
गंभीर हालत देख डॉक्टरों ने उसे मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के लिए रैफर कर दिया। रास्ते में जच्चा-बच्चा की मौत हो गई।
शासन द्वारा महिलाओं के गर्भवती होने से प्रसव और जन्मे बच्चे पांच साल की उम्र तक महिला और बच्चे को पोषण आहार की व्यवस्था किया जाता है। वहीं खून की कमी से बचाने के लिए आयरन की गोलियां और इंजेक्शन भी दिए जाते हैं और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच भी कराई जाती है।

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इन महिलाओं के स्वास्थ्य पर किस तरह से ध्यान दिया गया कि इन महिलाओं को मौत का शिकार बनना पड़ा। इससे स्वास्थ्य विभाग सहित महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठने लगे हैं।