महराजगंज ।जनपद के लोगों को शायद मुख्यमंत्री के गृह जनपद से सटे हुए जिले और कभी खुद मुख्यमंत्री का गृह जनपद कहे जाने वाले महाराजगंज जिले में स्वास्थ्य महकमा जैसे मौत का तांडव खेलने में जुटा हुआ है । एक डॉक्टर की नींद इतनी प्यारी थी कि उसने एक नन्ही सी बच्ची को सदा के लिए नींद की गोद में सुला दिया । क्या बीत रही होगी उस मां बाप पर जो डॉक्टर के भरोसे उसे जमीन का भगवान मानकर अपनी मासूम सी बच्ची को लेकर जान की भीख मांगने गए थे । पत्रकारिता जगत में खबर लिखने का एक जुनून हर पत्रकारों में होता है लेकिन कभी-कभी पत्रकारों के सामने कुछ ऐसी ह्रदय विदारक घटनाएं सामने आ जाती हैं कि उसकी कलम और आवाज दोनों लिखते समय लड़खड़ा ने लगती है। इस घटना को लिखते समय मुंशी प्रेमचंद की लिखी गई मंत्र कहानी याद आ रही है जिसमें खेलने जाते समय डॉक्टर ने एक वृद्ध के इकलौते वारिस को नहीं देखा और उसकी मौत हो गई । वहीं जब उस डॉक्टर के इकलौते पुत्र सर्प दंश का प्रकोप हुआ तो उसी वृद्ध ने आंधी तूफान नहीं देखा और डॉक्टर के बच्चे को बिना निस्वार्थ भाव से स्वस्थ कर दिया। इनको कहते हैं जमीन का भगवान उस कहानी में तो डॉक्टर ने गलती मान कर जिंदगी भर के लिए पछतावा किया । लेकिन महाराजगंज जिले के सरकारी अस्पताल का क्या किया जाए । जहां के डॉक्टर एक बच्ची की जान केवल इसलिए बेकार समझते हैं क्योंकि उनकी बेशकीमती नींद में खलल ना पड़ जाए जिससे उस बच्चे की मौत हो जाती है यही नहीं डॉक्टर अपनी गलती मानने की जगह गुंडागर्दी पर भी उतारू हो जाते है। इससे भी बड़ा पहलू यह है कि डॉक्टर और उनके साथ के स्वास्थ्य कर्मियों ने ना केवल रोते बिलखते मां बाप पर ही अपना क्रोध निकाला । बल्कि खबर को कवरेज करने के लिए गए देश के चौथे स्तंभ को भी नहीं छोड़ा। मुख्यमंत्री के इस तरह के स्वास्थ्य महकमे का क्या मतलब निकलता है। महामारी तमाम ऐसे डॉक्टरों ने अपनी जान जोखिम में डालकर वास्तव में जमीन का भगवान होने का एहसास लोगों कराया। तो वहीं दूसरी ओर महाराजगंज जिला अस्पताल के एक डॉक्टर जिनका नाम डॉ विशाल चौधरी है जो बाल रोग विशेषज्ञ है । इनकी पर्ची पर जितेंद्र वर्मा की मासूम बच्चे को एडमिट कराया गया गया रात में हालत बिगड़ने पर बच्चे को ICU में भर्ती गया है चार दिन पूर्व बच्ची को भर्ती किया गया था गीत रात अचानक बच्चे की तबीयत बिगड़ने और मौके पर कोई चिकित्सक ना होने के कारण बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती गई । अस्पताल में कोई बाल रोग विशेषज्ञ ना होने और आन ड्यूटी डॉक्टर विशाल चौधरी के होने के कारण उनको फोन करके बच्ची की हालत से अवगत कराया गया लेकिन डॉक्टर साहब का जवाब सुनकर परिजन आवाज से रह गए उनके लिए तो जैसे जमीन के भगवान पर से विश्वास ही उठ गया हो और नतीजा यह हुआ कि बच्ची आज दुनिया में नहीं है । जब उक्त डॉक्टर को रात में फोन किया गया तो डॉक्टर विशाल चौधरी में फ़ोन उठा कर कहा कि हम भी आदमी है हमे भी सोना है उसके बाद फोन काट दिया और फोन काटने के कुछ ही घण्टे में बच्ची ने बिना ईलाज के तड़प तड़प कर जान दे दी। एक मासूम बच्ची जिसकी मौत उसके माता-पिता के सामने हो जाए उसकी मानसिक दशा क्या होगी। इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता है लेकिन इस पर भी डॉक्टर साहब अपने आपसे बाज नहीं आए और उन्होंने बच्ची के परिवार जनों के साथ साथ घटना की जानकारी होने पर कवरेज करने गए मीडिया कर्मियों के साथ भी अभद्रता शुरू कर दी। अस्पताल के डॉक्टर की इस करतूत पर उनके अधीनस्थ कर्मियों के भी हौसले बुलंद हो गए और उन्होंने भी मीडिया कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि डॉक्टर साहब अपना निजी अस्पताल चलाते हैं सरकारी अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अपने निजी अस्पताल में मरीजों को देखना शुरू कर देते हैं तो शरीर में थकान लगना लाजिमी है लेकिन पैसे की ऐसी क्या भूख भी एक मासूम बच्ची को भी मौत के मुंह में छोड़ दिया जाए।