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भागवत कथा के श्रवण से मनुष्य को मिलती है परम शांति की अनुभूति

सौरभ पाण्डेय
भटहट —
मानस प्रचार समिति नाहरपुर द्वारा आयोजित श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ के दूसरे दिन मुख्य यजमान संतराज यादव सहित ग्यारह यजमानों ने हवन — पूजन किया। कथावाचक मनोज शास्त्री ने
श्रीमद्भागवत कथा की महिमा के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि यह कथा साक्षात भगवान श्री कृष्ण का शब्दमय विग्रह है । कलयुग में भगवान को पाने का
श्रीमद्भागवत कथा सबसे सरलतम साधन है । मन से पवित्र होकर के जो मनुष्य भागवत की कथा को श्रवण करता है , उसके हृदय में श्री ठाकुर जी का प्राकट्य हो जाता है । जन्म जन्मांतर के पुण्य कर्मका जब उदय होता है , तब मनुष्य को भागवत की कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है । भागवत कथा श्रवण करने से धुंधकारी जैसे महाप्रेत को भगवान ने अपना धाम प्रदान किया । जिस धुंधकारी ने अपने जीवन में केवल और केवल पाप का ही किया था । मृत्यु के पश्चात वह महाप्रेत बन गया । तब उनके भाई गोकर्ण महाराज ने उनके निमित्त भागवत की कथा का आयोजन किया ।अप्रत्यक्ष रूप से बिना शरीर के भागवत कथा श्रवण करने से धुंधकारी को भगवान का विमान लेने आया । यदि साधारण मनुष्य जो किंचित मात्र में पाप करते हैं । वह उन पापों से मुक्त होने के लिए भागवत की कथा को श्रवण कर सकते हैं । कथा वाचक द्वारा भगवान के नाम संकीर्तन की महिमा का वर्णन करते हुए श्रोताओं को संगीतमय सुंदर-सुंदर भजनों का श्रवण कराकर भावविभोर कर दिया गया । रासलीला में वृंदावन के कलाकारों द्वारा श्री कृष्ण जन्म और वसुदेव द्वारा नन्द भवन पहुंचा कर बधाई गाया गया।