सौरभ पाण्डेय
महराजगंज:- जिले में सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का शुभारंभ बुधवार से हो गया है। यह पखवाड़ा 22 जून तक मनाया जाएगा। इस दौरान बच्चों को दस्त होने पर जिंक तथा ओआरएस का घोल दिया जाएगा। इस सम्बंध में समुदाय को जागरूक भी किया जाएगा।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ.नीना वर्मा ने बताया कि गर्मी में बच्चों की सेहत का विशेष ख्याल रखा जाना चाहिए। दस्त होने पर समय से दवाएं दी जानी चाहिए ताकि बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।
उन्होंने कहा कि बच्चों में दस्त बंद हो जाने के बाद ओआरएस की घोल भी बंद कर देनी है। जिंक की खुराक 14 दिनों तक जारी रखनी है। ऐसा करने से अगले तीन माह तक बच्चे में डायरिया होने की आशंका कम हो जाती है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि दो से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी गोली माँ के दूध में मिला कर तथा सात माह से पांच साल तक के बच्चों को पूरी गोली देनी चाहिए। जिंक और ओआरएस घोल का घोल देने के बाद भी दस्त बंद न हो तो नजदीक के अस्पताल पर चिकित्सक को जरूर दिखाएं।
उन्होंने बताया कि जब ओआरएस घोल का स्वाद आंसू जैसा लगे तो समझना है कि घोल पिलाने योग्य है। अगर ऐसा स्वाद न आए तो घोल पिलाने योग्य नहीं होता है।अभियान के दौरान डायरिया से ग्रसित बच्चों की जांच एएनएम द्वारा भी की जाएगी। इन बच्चों में अगर कोई अति कुपोषित मिला तो उसके चिकित्सकीय प्रबंधन के लिए उसे नजदीकी अस्पताल या आवश्यकता पड़ने पर पोषण पुनर्वास केन्द्र ( एनआरसी ) भी भेजा जाना चाहिए। एसीएमओ ने पनियरा ब्लाॅक में पखवाड़े के तहत छाया ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता और पोषण दिवस ( छाया वीएचएसएनडी ) पर आयोजित गतिविधियों का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश दिया।
उपलब्ध है 1.70 लाख ओआरएस व 3.70 लाख जिंक टेबलेट
जिला कार्यक्रम प्रबंधक नीरज सिंह ने बताया कि सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के लिए जिले को 1.70 लाख ओआरएस पैकेट उपलब्ध कराया गया है। इसमें 11 ब्लाॅक को 12-12 हजार तथा धानी ब्लाॅक को 7200 ओआरएस पैकेट भेजा गया है। शेष 30, 800 पैकेट जिला मुख्यालय पर उपलब्ध है। इसी प्रकार कुल 3.70 लाख जिंक टेबलेट भी उपलब्ध है। इसमें से 11 ब्लाॅक में 30-30 हजार गोलियां भेजी गयी है। धानी ब्लाॅक को 20000 जिंक टेबलेट दिया गया है। मुख्यालय पर भी 20000 गोली उपलब्ध है।
एक पैकेट ओआरएस बनाएं ऐसे बनाएं घोल
सदर ब्लाॅक की एएनएम मंजू यादव ने बताया कि ओआरएस घोल बनाने के लिए पहले एक लीटर पानी को गरम करना है। जब पानी ठंडा हो जाए तो उसे छान लेना है ताकि कोई अवक्षेप न जाने पाएं। एक दूसरे बर्तन में ओआरएस का एक पैकेट डालें इसके बाद उसमें छानकर रखा गया ठंडा पानी डालें। इससे ओआरएस घुल जाएगा। यदि यह न गले तो उसे चम्मच से घोलें हाथ से नहीं। जब जब बच्चे को प्यास लगे यही घोल पिलाते रहे।
उन्होंने बताया कि दो से छह माह के बच्चों को जिंक की आधी गोली मां के दूध के साथ मिला कर देना है जबकि सात माह से पांच साल तक के बच्चों को पूरी गोली देनी है।
डायरिया के लक्षणः
-बच्चों को पानी जैसा मल आना।
-बार-बार उल्टी होना।
-अधिक प्यास लगना।