गोरखपुर: मियां बाजार पश्चिम फाटक के रहने वाले मशहूर और मारूफ शिक्षक और राष्ट्रपति अवार्ड से भी नवाजे गए मरहूम ईशा खान ने मंगलवार की मध्य रात्रि को लखनऊ के पीजीआई में ली अंतिम सांस आपको बताते चलें कि 1993 में शिक्षक दिवस के अवसर पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा ने उन्हे दिल्ली बुलाकर शिक्षा दिशा में किए गए कार्य और उनकी शिक्षा दिशा में विद्यार्थियों के प्रति किए गए योगदान को लेकर राष्ट्रपति अवार्ड से नवाजा गया और इस दौरान स्वर्गीय अर्जुन सिंह भी उपस्थित थे !
वही इसके बाद मरहूम ईशा खान जब जुबली इंटर कॉलेज से रिटायर हो जाते हैं तो गोरखपुर m.s.i. इंटर कॉलेज के प्रबंधक समितियों के द्वारा उन्हे m.s.i. इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य बना दिया जाता है उस समय ईशा खान के द्वारा m.s.i. इंटर कॉलेज में शिक्षा की दशा और दिशा को काफी अच्छा और पढ़ने और पढ़ाने का माहौल को बनाने में अहम योगदान रहा। ईशा खान गोरखपुर के मशहूर मारूफ शिक्षकों में जाने जाते थे शिक्षा रूपी ज्ञान के सफर में उनके बहुत से योगदान रहे हैं उनके द्वारा शिक्षा लिए हुए बच्चे आज उच्च स्थान पर आसीन है और विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षा का ज्ञान का प्रकाश फैला रहे हैं और गोरखपुर जुबली इंटर कॉलेज और m.s.i. इंटर कॉलेज का नाम रोशन कर रहे हैं। अब मरहुम ईशा खान इस दुनिया में नहीं रहे वही शोक की लहर में लोगों में दुख का माहौल है !
ईशा खान के द्वारा कब से कब से कब तक शिक्षा जगत में किया गया योगदान
1988 से 1997 फरवरी तक जुबली में थे
मार्च 1997 से जून 1999 तक ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और वक़्फ़ के कमिश्नर रहे।
1 जुलाई 1999 से जून 2006 तक इस्लामिया इंटर कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर रहे।
” यू नहीं जर्रा जर्रा कतरा कतरा कमाल हुए
पाव दबाए है उस्तादों के अब जाके निहाल हुए