सौरभ पाण्डेय
कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दिया गया प्रशिक्षण
कुशीनगर:- सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र फाजिलनगर सभागार में बुधवार को कोरोना और दिमागी बुखार से बचाव के बारे में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का विशेष तौर पर पालन कराया गया। प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली सभी आशा कार्यकर्ता लोगों के बीच दिमागी बुखार और कोरोना से बचाव का संदेश लेकर जाएंगी।
इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी विनय कुमार नायक ने कहा कि प्रशिक्षण प्राप्त सभी आशा कार्यकर्ता अपने अपने गांव में जाकर लोगों को कोरोना तथा दिमागी बुखार से बचने के लिए ठीक से जागरूक करें।
मुंह पर मॉस्क लगाकर तथा शारीरिक दूरी बनाकर लोगों को बताएं कि सतर्कता ही कोरोना से बचाव है। सभी लोग शारीरिक दूरी बनाकर रहें। भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर जाने से बचें। यदि विषम परिस्थितियों में घर से निकलें तो मॉस्क जरूर लगाकर निकलें।
उन्होंने कहा कि लोगों को बताएं कि जहाँ भी रहें कम से कम दो गज की दूरी बनाएं रखें, खाँसते व छींकते समय अपने चेहरे पर टिश्यू पेपर या रूमाल रखें। किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर न थुकें।
निगरानी समिति का सदस्य होने के नाते सभी आशा कार्यकर्ताओं का दायित्व है कि अगर गांव में किसी व्यक्ति में कोरोना के लक्षण दिखे तो उसकी सूचना अपने संबंधित प्रभारी चिकित्सा अधिकारी या कंट्रोल रूम को जरूर दें, साथ ही कोविड जांच के लिए प्रेरित भी करें।
ब्लाक कम्यूनिटी प्रोसेस मैनेजर अजय कुमार ने कहा कि सभी लोग ‘सुमन-के’ विधि से 60 सेंकेंड तक साबुन पानी से हाथ धुलें। दिमागी बुखार से बचने के लिए साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें, पूरी आस्तीन की कमीज पहनें, अपने घरों के आस-पास जलभराव न होने दें, स्वच्छ पेयजल का सेवन करें, शौचालय का प्रयोग करें। प्रयास रहे कि गर्म पानी पिएं। आशा कार्यकर्ताओं से अपील की गयी कि यदि किसी में दिमागी बुखार के लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल पर जाकर इलाज शुरू कराएं।
इस अवसर पर आशा कार्यकर्ता कैसरजहां, माया, जमीला खातून,उर्मिला, ममता, फातिमा, खैरूननिशा, सिन्धु के नाम प्रमुख हैं।
दिमागी बुखार के लक्षण
-पीड़ित को अचानक तेज बुखार आना।
-पीड़ित का तेज सिर दर्द होना ।
-शरीर कांपना और लाल चकत्ते हो जाना।
-हाथ पैर में अकड़न हो जाना।
-उल्टी और बेहोशी होना।
-पीड़ित को झटके आना।