महराजगंज। सरकार राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ही नहीं इससे भी सख्त कोई कानून क्यों न बना दें, लेकिन देश में जुगाड़ के सामने उसके सारे कानून बौने हो जाएंगे। सरकार ने काम के मुताबिक मजदूरों को मजदूरी दिलाए जाने का जो स्वांग रचा वह आज बेमानी साबित हो रहा है।
मनरेगा के तहत मजदूरों को जॉबकार्ड बनाए गए। इनमें से पचास फीसदी जाबकार्ड ग्राम प्रधानों द्वारा अपने सगे संबंधियों व चहेते लोगों को निर्गत किए गए। इन्हें मजदूरी करने से कहीं दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। फिर भी प्रतिवर्ष हजारों रुपये मजदूरी के नाम पर इनके खातों में धनराशि प्रेषित की जा रही है। प्रेषित धन का पांच से दस प्रतिशत जाब कार्डधारक को देकर बाकी धन प्रधान व पंचायत सचिव द्वारा बंदरबांट करने का जुगाड़ू व्यवसाय यहां बड़े पैमाने पर चल रहा है। घुघली क्षेत्र में 93 लाख रूपया का मनरेगा में धांधली का मामला सामने आया है। कार्य मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत की गई है, यह कार्य सीधे ग्रामीणों को मजदूरी में रख रोजगार सहायक के देखरेख में निर्माण कार्य कराए जाने का कायदा है। ठीक इसके विपरीत ग्राम पंचायत ने निर्माण कार्य का सीधा ठेका दे दिया गया था। जिन चार गांवों में मनरेगा का यह काम कराया गया है उसमें जिन मजदूरों को 56 लाख रूपये की मजदूरी का भुगतान किया गया है वह घुघली ब्लाक के हैं ही नहीं। इसमें से नौतनवा ब्लाक के अहिरौली, लक्ष्मीपुर क्षेत्र के मुड़ली, सदर ब्लाक के बांसपार बैजौली के मजदूर दिखाए गए हैं। विकास अधिकारी कहते हैं कि शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी। वहीं इस मामले में उच्चधिकारियों का कहना है कि धांधली उजागर हुई तो इस कृत्य में लिप्त लोगों को बक्सा नहीं जाएगा। परतावल ब्लाक में 26 लाख के घोटाले में एपीओ विनय मौर्य की सेवा समाप्ति के साथ वन विभाग के एसडीओ समेत पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था