“ कहते हैं कि सेवा व कर्तव्यपरायणता क्या होती है यह किसी सैनिक के दिल से पूछिए , अपनी माटी व अपने लोगों से बिछड़ने का दर्द क्या होता है यह किसी सैनिक से पूछिये ” लेकिन वही सैनिक जब अपनी सेवा अवधि पूर्ण कर लेता है तो वह उस सम्पूर्ण कार्यकाल को अपना सौभाग्य समझता है । आज इसी सौभाग्य को पूर्ण कर पूर्वांचल के तराई सीमा के महराजगंज जनपद का एक लाल वापस लौट रहा है । नाम है मनोज निषाद !
मनोज बताते हैं कि जनपद के छोटे से ग्राम सभा पिपरा खादर में जब उनका जन्म हुआ और इस मिट्टी को जब उन्होंने चूमा तभी से यह प्रण कर लिया कि अपनी मिट्टी , अपनी सरजमीं व अपने देश के लिए खुद को समर्पित कर देंगे । 17 वर्ष 4 दिन फौज में अपना सबकुछ समर्पित करने के बाद भी जब उन्हें आत्मसंतुष्टि न हुई तो अपनी ग्राम सभा की उन्नति का भार भी उन्होंने उठानी की सोची
पत्नी मुन्नी देवी बनीं प्रधान–
मनोज कहते हैं कि ग्राम सभा के लोग यह चाहते थे कि ग्राम सभा की उन्नति व विकास के लिए कुछ किया जाए , जब उन्हें लगा कि उनके सेवा काल की अवधि शेष है तो उन्होंने लोगों से अगले बार की बात कहकर लोगों से क्षमा मांगी । किन्तु उनके ग्राम सभा के लोगों ने उनसे राजनीतिक जीवन में उतरने के लिए बार-बार जब दबाव बनाया तो उन्होंने यह बात अपनी पत्नी को बताई , संयोग से ग्राम प्रधान की सीट का आरक्षण भी महिला के लिए आया तो पत्नी मुन्नी देवी ने ग्राम पंचायत के प्रधानी चुनाव में उतर कर न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि उन्होंने अपने पति के ग्राम सभा की सेवा भावना का दृढ़ संकल्प भी पूरा किया
मनोज कहते हैं कि कि देश सेवा के गौरव को प्राप्त करने के बाद अब पत्नी के साथ कदम से कदम मिलाकर ग्राम सभा की सेवा करूँगा व देश सेवा के दौरान जो अनुभव प्राप्त हुआ उसे ग्राम सभा के कल्याण के लिए हर सम्भव तरीके से लागू करूँगा ।
अंकित मणि त्रिपाठी
पत्रकार काका