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नीलामी नहीं होने के कारण श्यामदेउरवां थाने में खड़े जब्त वाहन हो रहे कंडम

थानों में जब्त वाहनों की नीलामी का इंतजार

सौरभ पाण्डेय
महराजगंज:-
पुलिस द्वारा जब्त किए गए वाहन कानूनी जटिलता की वजह से थानों में सड़ कर कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं। वाहनों की भरमार की वजह से अधिकांश जगह पूरी तरह से कबाड़ खानों में तब्दील होते नजर आ रहा है। थानों में सड़ने वाले वाहनों में दो पहिया वाहनों की संख्या सबसे अधिक होती है। ट्रक और हल्के वाहन भी थाना परिसर में जगह घेरे है। थानों में सड़ रहे इन वाहनों को पुलिस ने आपराधिक संपत्ति कुर्की, वारदात, गाड़ी के कागजात नहीं होने पर और लावारिश अवस्था में जब्त किया गया है। अधिकांश वाहनों के चक्के, इंजन या फिर अन्य महत्वपूर्ण पुर्जे भी गायब हो गए हैं। साथ ही खुले आसमान के नीचे वाहनों के रखे जाने की वजह से कई वाहन के तो ढांचे ही शेष बचे हैं। कई वर्षो से तेज धूप, बरसात की मार झेल रहे अधिकांश वाहन सड़ चुके हैं। जिन्हें कौड़ी के मोल भी नहीं बेचा जा सकता है। जब्त किये गये वाहनों के रखरखाव की बात जुदा है। जब्त वाहनों में कुछ चोरी की है तो कुछ दुर्घटना के अंजाम में जब्त किये हैं। कुछ ऐसे वाहन हैं जिसका अवैध सामानों की तस्करी में प्रयोग किया गया है। पुलिस ने उसे जब्त किया है। लोगों की मानें तो पुलिस द्वारा जब्त किये गये वाहनों को छुड़ाने के लिए होने वाली लंबी चौड़ी प्रक्रिया से बचने के लिए लोग वाहनों को नहीं छुड़ाते हैं। क्योंकि ऐसे ज्यादातर वाहन होते हैं जिनका न तो टैक्स जमा रहता है और नहीं फिटनेस सही होता है। इन सारी औपचारिकताओं को पूरा कर वाहन छुड़ाने में नौ की लकड़ी नब्बे खर्च वाली कहावत बिल्कुल सही बैठती है।प्रत्येक वर्ष पुलिस द्वारा अभियान चलाकर वाहनों को पकड़ा जाता है। जिससे लगातार संख्या में इजाफा होते जा रहा है। वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण जिले के अधिकांश थाना पूर्ण रूप से कबाड़ खाना की शक्ल अख्तियार कर चुका है।

श्यामदेउरवा थाने में इन मामलों में जब्त है गाड़िया

1:- 45 गाड़ी आरटीओ द्वारा सीज किया गया है।

2:- लावारिस में कुल 04 गाड़िया है।

3:- अपराध से संबंधित 40 गाड़िया है।

यह होता है नियम……….

नियमानुसार यदि देखा जाए तो लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे सीआरपीसी की धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है। बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चिपकाकर या समाचार पत्रों के माध्यम से उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किये जाने का प्रावधान है ताकि वाहन स्वामी अपना वाहन वापस ले सके।

बहुत जटिल होती है जब्त वाहन की नीलामी प्रक्रिया
लावारिश या किसी मामले में जब्त वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है, तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है इससे काफी समय लगता है।
इस सम्बंध में डीआइजी रेंज , पुलिस अधीक्षक महराजगंज, अपर पुलिस अधीक्षक व सीओ सदर से जानकारी लेने की प्रयास की गई तो किसी से बात नही हो पाई।