गोरखपुर की रामगढ़ झील में रविवार की शाम करीब चार बजे बड़ा हादसा होने से बच गया। झील के अंदर अचानक हुए दो बोटों की टक्कर में शिकारा बोट पलट गई। उस पर सवार पांच बच्चों व दो महिलाओं समेत 9 लोगों को कड़ी मशक्कत के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस घटना में शिकारा डूब गया।
जगदीशपुर निवासी राजकुमार (23), उनकी पत्नी ललिता देवी (23), बच्चे प्रियांशु (5), प्रीति (7), आत्मा कुमार (30), उनकी भाभी किरन देवी (30), किरन के बच्चे सृष्टि (7), मुस्कान (9) और शिवम (डेढ़ वर्ष) रविवार को पहली बार रामगढ़ झील के किनारे पहुंचे थे। वहां बच्चों की जिद पर शिकारा बोट में बैठ गए। रामगढ़ झील में चक्कर पूरा करने के बाद लौटते समय प्लेटफार्म से करीब 50 मीटर की दूरी पर बोट पहुंची थी कि उसी दौरान टाइगर टीम स्पीड एडवेंचर की स्पीड बोट और शिकारा में टक्कर हो गई। शिकारा पलट गई। गनीमत था कि बोट पलटने के बाद उसे डूबने में कुछ समय लगा। इस दौरान उसमें सवार पर्यटक बोट की रेलिंग पकड़े रहे। दोनों बोट में टक्कर के बाद वहां मौजूद गोताखोर स्पीड बोट लेकर पहुंचे और चारों तरफ से शिकारा को घेरकर उसमें फंसे पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस दौरान बच्चे व उनके अभिभावक चीखते-चिल्लाते रहे। इस घटना में आत्मा कुमार व किरन देवी का मोबाइल पानी में डूब गया। हालांकि टक्कर मारने वाली स्पीड बोट और उसमें सवार पर्यटकों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
रेस्क्यू में दिखाई दिलेरी
घटना के तत्काल बाद वहां बोट का संचालन करने वाले संचालकों ने दिलेरी दिखाई। टाइगर की टीम ने अपनी स्पीड बोट भेजी तो नौकायन विकास समिति के सहसचिव अमर निषाद खुद स्पीड बोट लेकर वहां गोताखोरों के साथ पहुंचे। शिकारा की दूसरी बोट भी वहां पहुंच गई। दर्जन भर गोताखोर पानी में कूद गए और एक-एक कर सभी पर्यटकों को दूसरे बोट में सुरक्षित पहुंचाया गया। रेस्क्यू करने वालों में राजकुमार साहनी, अरविंद साहनी, सत्येन्द्र साहनी, आकाश साहनी, राहुल साहनी, अमित निषाद, आकाश आदि मौजूद थे।
शिकारा को आदेश नहीं फिर कैसे शुरू की बोटिंग
घटना के बाद इस बात का खुलासा हुआ कि शिकारा को बोटिंग का जीडीए से अभी आदेश ही नहीं मिला है। शनिवार से शिकारा का ट्रायल चल रहा है। बोट पर सवार आत्मा कुमार व राजकुमार ने आरोप लगाया कि पांच छोटे बच्चों का किराया तो नहीं लिया गया था लेकिन चार व्यस्कों का 60 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से टिकट का पैसा लिया गया था। उन्हें इसके बदले में पर्ची पर हाथ से लिखकर उन्हें दिया गया था। शिकारा के कर्मचारियों के मुताबिक अभी सभी पर्यटकों को फ्री में घुमाया जा रहा है। सवाल यह है कि जब बोट संचालन का आदेश ही नहीं मिला है और रसीद भी अभी नहीं छपी है तो पर्यटकों को क्यों बैठाकर घुमाया गया है।
अभी शिकारा का ट्रायल किया जा रहा है। टिकट अभी छपा ही नहीं है। वे लोग आए और आग्रह किए तब उन्हें बोट में बैठाकर नि:शुल्क घुमाया गया। टिकट का मूल्य 70 रुपये रखा गया है। टिकट छपने के लिए दिया गया है। बोटिंग के लिए पैसे लेने की बात बेबुनियाद है। टाइगर टीम की बोट ने हमारे बोट में टक्कर मारी जिससे हमारा बोट डूब गया।
राजकुमार साहनी, प्रोपराइटर, शिकारा
शिकारा अचानक से धीमा हो गया। अचानक आमने-सामने होने के बाद स्पीड बोट ने टक्कर मारी थी। टक्कर धीमी थी लेकिन शिकारा का वजन कम होने के कारण पलट गया। तत्काल उसी स्पीड बोट से और अन्य स्पीड बोट भेजकर गोताखोरों की मदद से सभी पर्यटकों का रेस्क्यू किया गया।
मनीष श्रीवास्तव, प्रबंधक, टाइगर टीम स्पीड एडवेंचर