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वायरल फीवर में कारगर है होम्योपैथी दवाएँ :- डा हेमन्त श्रीवास्तव

अचानक से होने वाले मौसम के बदलाव की वजह से लोग वायरल फीवर के चपेट में तेज़ी से आ रहे हैं , तेज़ बुख़ार बार-बार ठंड लगना, कंपकंपी या कंपन होना थकान और कमज़ोरी या थकावट सिरदर्द ,गले में खराश ,बहती नाक , मांसपेशियों में दर्द ,पसीना आना ,भूख न लगना उल्टी, दस्त जैसी समस्या सामान्य रूप से देखा जा रहा है ,वायरल संक्रमण शरीर के किसी भी हिस्से, आंतों, फेफड़ों, वायुमार्ग आदि में हो सकता है। संक्रमण के परिणामस्वरूप बुखार होगा।वायरल बुखार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति जम्हाई लेता है, छींकता है, खांसता है या बात भी करता है, तो उसके शरीर से तरल पदार्थ के छोटे-छोटे छींटे निकलते हैं जो आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं यदि आप आस-पास हैं। एक बार जब वायरस आपके शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो आपके शरीर में बुखार के साथ एक पूर्ण रूप से भयंकर संक्रमण में बदलने में 16 घंटे से 48 घंटे तक का समय लगता है। वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डा हेमन्त श्रीवास्तव बताते हैं ,होम्योपैथी में सभी बुखारों के इलाज की बहुत अच्छी गुंजाइश है। होम्योपैथी बुखार की समग्रता और बीमारी की तस्वीर को ध्यान में रखती है। यह व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक बनावट को ध्यान में रखती है और प्रत्येक व्यक्ति का अलग-अलग इलाज करती है। आर्सेनिकम एल्बम, इन्फ्लुएंजिनम, बेलाडोना, ब्रायोनिया, जेल्सीमियम, रस टॉक्स, यूपेटोरियम पर्फ आदि जैसी दवाएं वायरल बुखार के साथ-साथ वायरल के बाद की खांसी को भी बिना किसी परेशानी के पूरी तरह से ठीक करने में मदद कर सकती हैं। साथ ही बचाव के लिए बाहर का या सड़क किनारे का खाना न खाएं-पीएं ,अपने आप को हाइड्रेटेड रखें ,तरल पदार्थ पिएं और विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ खाएं,तरल आहार और हल्का आहार लें जिसमें भरपूर मात्रा में फल शामिल हों ,पर्याप्त आराम आवश्यक है !