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माहे रमजान ऩुज़ूले कुरान का महीना है: तहसीन रज़ा

माहे रमजान उल मुबारक ईमान वालों के लिए बड़े ही बरकत और रहमतों वाला महीना है। यह नेकियों का मौसम और खैर व बरकत समेटने का महीना है। इसमें मोमिनों का रिज़क बढ़ा दिया जाता है। नेकियों के सवाब में और महीनों के मुकाबले में इजाफा कर दिया जाता है। इस महीने में नमाजियों की तादाद बढ़ जाती है। मस्जिद की रौनक दोगुनी हो जाती है। कुराने पाक पढ़ने और सुनने का माहौल बन जाता है। सददक़ात व खैरात ज्यादा से ज्यादा दिए जाने लगते हैं। गरीब और मिस्किन भाइयों के साथ ग़मग़ुसारी का ज़ज्बा भी बढ़ जाता है। इस महीने की अज़मत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की कुराने शरीफ का नुज़ूल इसी पाक‌ महीने में हुआ। इस महीने में अल्लाह पाक अपने बंदों पर खास तवज्जोह फरमाता है।
जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। और बंदों की दुआएं ज्यादा से ज्यादा कबूल की जाती हैं।
रमजान का महीना ऐसा बा बरकत महीना है कि उसके शुरू के 10 दिन में रहमत है। दरमियां के 10 दिन में मग़फरत है। और आखिर की 10 दिन में जहन्नम से निजात का जरिया है। जो शख्स इस मुबारक महीने में अपने मजदूरों और गुलामों के रोजेदार होने के सबब उसके काम में तखफीफ करेगा(यानी काम कम लेगा )तो अल्लाह ताआला उसे माफ फरमाएगा और आजाब से छुटकारा अता करेगा।
इसी माह में शबेक़दर है जिस रात मे एबादत व रियाज़त हजार महीनों के इबादत से बेहतर है।
हर महीने में इबादत के लिए वक्त मुक़र्रर है लेकिन इस महीने में रोजेदार का हर हर लम्हा इबादत में शुमार किया जाता है। इसमें नेकियां का सवाब 10 गुना से 700 गुना तक बढ़ा दिया जाता है। नफल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब 70 फर्ज के बराबर हो जाता है। अल्लाह तआला हम सबको ज्यादा से ज्यादा इस महीने में नेकियां करने की तौफीक दे।