महराजगंज।तराई के अन्नदाताओं की दुश्वारियां कम होने का नाम नही ले रही है।मौसम की मार निर्धारित दाम और सिंचाई विभाग के रहम की दरकार किसानो की तकदीर तय कर रही है।रबी के फसल की सिंचाई के ऐन वक्त सूखे नहर देख किसान के माथे पर पसीना छलक रहा है और आर्थिक नहरो की उपलब्धता के बावजूद किसान आर्थिक बोझ तले दब मंहगे सिंचाई को विवश नजर आ रहे है।
उल्लेखनीय है कि तराई मे खिली धूप के बीच खेतो की नमी तेजी से गुम हो रही है।गेहू की बुआई के बाद पहली सिंचाई के ऐन वक्त किसान नहर के पानी का इंतजार कर रहा है।विभाग नहर की सफाई व मरम्मत को पानी मे देरी का कारण बता रहा है।किसान फसल बर्बाद होने के डर से मंहगे संसाधनो से सिंचाई कर रहा है।किसान नहर होने के बाद आर्थिक बोझ तले दबने और सिंचाई के बाद नहर मे पानी आना विभाग की शिथिलता बता रहे है।बताते चले कि जनपद मे15नवम्बर तक गेहू की बुआई का उपयुक्त समय माना जाता है और पहली सिंचाई 22-25दिन बाद अहम मानी जाती है।गेहू की बुआई के एक माह होने के बाद किसानो के इंतजार की इंतहा होने के बाद मंहगे संसाधन से किसान सिंचाई कर अपनी पूंजी को बचाने मे लगे है।सरकार द्वारा सिंचाई मुफ्त होने के बाद किसान आर्थिक बचत की उम्मीद लगाए बैठे रहे लेकिन विभाग की तैयारियां सिंचाई के पूर्व पानी छोड़े जाने की पूर्ण न होने से किसान छला महसूस कर रहे है।बता दे कि जनपद मे नहरो का जाल बिछा है।।नेपाल के पहाड़ी नदियों से निकलने वाली नहर का पानी किसानो की तकदीर तय करता है लेकिन विभाग की शिथिल कार्यशैली ने किसान की तकदीर को बदहाल कर डाला।सिंचाइ के पूर्व नहरो मे पानी उपलब्ध न करा पाने से किसान मुफ्त सिंचाई के लाभ से वंचित हो रहे है।क्षेत्र की नारायणी व देवरिया माइनर सिचाई के वक्त सूखी है और तराई पानी की बाट जोह रही है।