महराजगंज।. कहते है कि होनी को कोई टाल नही सकता है लेकिन जब बार बार अनहोनी एक ही रंग रुप के हो तो सवाल लाजमी है।जून माह मे वैसे तो रंजिश और दुर्घटनाओ मे मौत के दर्जनो मामले आए है लेकिन 20 दिनो मे फांसी पर लटकने से हुई एक ही जैसी7मौते चर्चा का कारण बन गयी है।फांसी के मामलो को कोई युवाओ मे हताशा कोई जज्बात तो कोई अपराध को जिम्मेदार मान रहा है लेकिन 7फांसी के मामले आत्महत्या है या वारदात यह पुलिस तफ्शीश पर निर्भर है।
उल्लेखनीय है कि जनपद के सदर तहसील क्षेत्र मे फांसी के मामलो पर गौर करे तो एक जून से शुरु हुआ फांसी से मौत का सिलसिला 20 जून तक 7 मामला सामने ला चुका है।एक जून को चौक थानाक्षेत्र के पिपरा सोनाड़ी में ससुराल आए कुशीनगर जनपद के डुमरभार निवासी 35वर्षीय युवक का शव पेड़ से लटकता मिला।3जुन को पनियया थानाक्षेत्र के सतगुरु के मल्लाही टोले पर नवविवाहित का छत की कुंडी से लटकता शव मिला।4जून को कोतवाली थानाक्षेत्र के नदुआ निवासी एक23वर्षीय युवक का शव सिंदुरिया थानाक्षेत्र के मोरवन मे पेड़ से लटकता मिला।16जून को तीन किमी के दायरे मे दो फांसी से लटकते शव मिले।घुघली थानाक्षेत्र के पुरैना बागीचे मे 35वर्षीय महिला तो इसी थानाक्षेत्र के बरवा खुर्द मे पेड़ से लटकता एक युवक का शव मिला।16जून की रात को कोतवाली थानाक्षेत्र के बागापार टोला जनकपुर मे एक युवक का शव घर मे कुडी से लकटकता मिला।19जून को चौक थानाक्षेत्र के डिहुलिया मे पेड से लटकता एक युवक का शव मिला।फंसी की घटनाओ से क्षेत्र कराह उठा है।फांसी के मामले आत्महत्या है या वारदात इस पर पुलिस की तफ्शीश जारी है लेकिन बुद्धिजीवी वर्ग की माने तो भागदौड़ व तनाव भरे जीवन मे युवा वर्ग जल्दी हताश हो रहा है और दिमाग व संयम की जगह जज्बात मे निर्णय ले रहा है और अपराध कर बैठ रहा है।युवाओ के फांसी पर लटकने वाले कृत्य मे घरेलू विवाद,पति पत्नी की अनबन व सम्पत्ति ही अधिकांश मामलो मे कारण बन रहे है।युवा वर्ग परिस्थितियों से लड़ने के बजाय जल्दी टूट रहा है और मौत को चुन रहा है जो भविष्य मे और भी भयावह हो सकता है।वारदात को कानून व्यवस्था दुरुस्त करके तो रोका जा सकता है लेकिन आत्महत्या पर मनोवैज्ञानिक पहुलुओ पर जन जागरुकता से ही युवाओ को फांसी से रोका जा सकता है।